ईश्वर ,भगवान , गॉड ,अल्लाह या प्रभु यह नाम अनंत ब्रह्माण्ड की रचयिता चैतन्य शक्ति के नाम है l
दुनियाके तमाम धर्म शास्त्र यही कहते है कि इस अनंत सृष्टि के पीछे कोई अज्ञात शक्ति है जो इसे चला रही है l विज्ञान इसके विपरीत कहता है l ऋषि -मुनियोंने तपश्चर्या करके उस अज्ञात शक्ति से अनुसन्धान किया है यह भी एक सत्य है l हजारों सालोंसे उस सृष्टि के रचयिता को खोजने की साधना दुनियाके लाखों जिज्ञासु कर रहे है l जिसे जिस भावमें , रूपमें , गुणोंमे वह प्रभु मिला उस भाव , रूप,और गुणको उन सिद्धोंने दुनियाके सामने रखा l उन सिद्धों के विचारको मानते हुये सदियोंसे दुनियामें भाव, रूप और गुण की पूजा , आराधना , उपासना , साधना , तपश्चर्या हो रही है l विभिन्न मान्यताओंको लेकर उस प्रभुको जिज्ञासु खोज रहे है l
आज के युग में अधिकांष लोग सच्चे तपस्वीके पास न जाकर विभिन्न चैनल पर दिखाए जानेवाले तथाकथिक संत ,गुरू ,सिद्ध के पास जाकर अपना कीमती समय और धन बर्बाद कर रहे है l आज के युग में नकलीपन की होड़ लगी है l लोगोंको जैसा ठगाया जाय वैसा ठगने की दुकाने आज चारों तरफ लगी हुई है l जिन्हे प्रभु मिलन की प्यास है उस जिज्ञासु को चाहिए की सच्चे गुरू की खोज के लिए जीवन के पांच साल भी लग जाते है तो भी घाटा नहीं है क्योंकि गलत गुरू के पास जाकर आधा जीवन बिताने के बाद उस गुरू का नकलीपन सामने आता है तो उस समय होनेवाली पीड़ा बर्दास्त नहीं होती है l इसलिए इसका उसका सुनकर ,टीव्ही प्रोग्राम देखकर किसी को गुरू बनाने की जल्दबाजी नहीं करनी चाहिए l जल्दबाजीमे धोकाही धोका है l प्रभु की अहेतुक कृपापर भरोसा करके मानस पूजन अर्चन करते हुए उनकी कृपा का इन्तजार करना चाहिए l वे परम दयालु है इसलिए उनकी कृपा पर संदेह नहीं करना चाहिए l उनकी कृपासे सच्चा गुरू निश्चित मिलेगा , ऐसा भी होता है भगवान भी गुरू बन जाते है l इसलिए सब्र का फल मीठा होता है इस सत्य पर पूर्ण विश्वास करे l आज नहीं तो कल प्रभु कृपा जरूर बरसेगी l कष्ट , पीड़ा सहनेकी थोड़ी आदत लगानी पड़ेगी l

आज के युग में अधिकांष लोग सच्चे तपस्वीके पास न जाकर विभिन्न चैनल पर दिखाए जानेवाले तथाकथिक संत ,गुरू ,सिद्ध के पास जाकर अपना कीमती समय और धन बर्बाद कर रहे है l आज के युग में नकलीपन की होड़ लगी है l लोगोंको जैसा ठगाया जाय वैसा ठगने की दुकाने आज चारों तरफ लगी हुई है l जिन्हे प्रभु मिलन की प्यास है उस जिज्ञासु को चाहिए की सच्चे गुरू की खोज के लिए जीवन के पांच साल भी लग जाते है तो भी घाटा नहीं है क्योंकि गलत गुरू के पास जाकर आधा जीवन बिताने के बाद उस गुरू का नकलीपन सामने आता है तो उस समय होनेवाली पीड़ा बर्दास्त नहीं होती है l इसलिए इसका उसका सुनकर ,टीव्ही प्रोग्राम देखकर किसी को गुरू बनाने की जल्दबाजी नहीं करनी चाहिए l जल्दबाजीमे धोकाही धोका है l प्रभु की अहेतुक कृपापर भरोसा करके मानस पूजन अर्चन करते हुए उनकी कृपा का इन्तजार करना चाहिए l वे परम दयालु है इसलिए उनकी कृपा पर संदेह नहीं करना चाहिए l उनकी कृपासे सच्चा गुरू निश्चित मिलेगा , ऐसा भी होता है भगवान भी गुरू बन जाते है l इसलिए सब्र का फल मीठा होता है इस सत्य पर पूर्ण विश्वास करे l आज नहीं तो कल प्रभु कृपा जरूर बरसेगी l कष्ट , पीड़ा सहनेकी थोड़ी आदत लगानी पड़ेगी l