* भविष्य को बेहत्तर बनानेके सपने देखने के बजाय वर्तमान को ही सुन्दर बनाना चाहिए।
जब वर्तमान सुन्दर होगा भविष्य अपने आप सुन्दर बनेगा ।
* समाज में गन्दगी फैलाकर अपने को बुद्धिमान कहलाने के बजाय
विश्व में अच्छाई की खुशबु फैलाकर निर्बुद्ध कहलाने में भी भलाई है।
* संकीर्ण धर्म पथ पर चलने के बजाय ,उस दिव्य पथ पर चलनेका संकल्प करना चाहिए जहाँ
शांति , प्रेम , सद्भावना और मानवताकी सुगंध हो l
शांति , प्रेम , सद्भावना और मानवताकी सुगंध हो l